बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 24

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भाग - २४ खाना खाने के बाद हाथ-मुंह धोकर बाहर आते हुए मुन्ना ने कहा, 'कॉन्फिडेंस बढ़ाने का रास्ता मिल गया है।' मैंने कहा, 'खाना खाते ही मिल गया।' हाँ, मैं कह रहा था ना कि, भूखे पेट भजन भी नहीं होता।' 'कौन सा रास्ता है, बताओ।' डिस्पोजेबल बर्तन बटोरते हुए मैंने कहा। 'अरे मिस मॉडल जी, मुंह पर लगा खाना तो साफ करके आओ, जल्दी क्या है। अभी पूरी रात बाकी है।' अपनी बात मुन्ना ने बड़ी अर्थ भरी नजरों से मुझे देखते हुए कहा और हल्के से आंख मार दी। उसका आशय समझने में मुझे देर नहीं ।