तीसरे लोग - 18 - अंतिम भाग

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18. किसना की कविताओं का संग्रह 'झरोखे जिंदगी के' बहुत सुर्खियां बटोर रहा था। उसकी अंतिम इच्छा के अनुसार मिलनेवाली रॉयल्टी एड्स से मरनेवालो मरीज़ों के परिवार की सहायता हेतु दान की जा रही थी। इलाहबाद में स्मारक ने अस्पताल के दो कर्मचारियों को उसकी अम्मा सुरसतिया की तलाश में भेजा था। परंतु पता लगा की पुत्र के अवसान की खबर पाकर वह वृद्धा माता सदमे से पागल हो गई थी और उसकी विक्षिप्त अवस्था में एक दिन संगम में जल समाधी ले ली अभागन ने। बा-बापूजी को फाल्गुनी ने फोन करके बुलाया था। पति की गिरती सेहत के साथ-साथ