अपने-अपने कारागृह - 23

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अपने-अपने कारागृह-23 एक दिन उषा सुबह की गुनगुनी धूप में मटर छील रही थी कि सेल फोन टन टना उठाना शुचिता का फोन था । एक वही है जिसके साथ सेवानिवृत्त के 2 वर्ष पश्चात भी संपर्क बना हुआ है । उषा ने फोन उठाया । उसके हैलो कहते ही शुचिता ने कहा, ' दीदी, कहते हैं माता पिता परिवार को जोड़कर रखते हैं पर क्या वह परिवार में टूट का कारण भी बन सकते हैं ? '' टूट का कारण ?' उषा ने आश्चर्य से पूछा था ।' हां दीदी, एक समय था इनके पांचों भाई बहनों में अपार प्रेम