360 डिग्री वाला प्रेम - 22

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२२. कुछ उलझन आज डिनर के लिए सबको कैंट एरिया में जाना था. राजेश जी के बचपन के मित्र लखनऊ कैंट में एक वरिष्ठ अधिकारी थे जिन्होंने आज परिवार को रात्रि भोज पर आमंत्रित किया था. सब कुछ खुशनुमा-सा लग रहा था अभी. इस सबके बावजूद आरिणी का मन रह-रह कर कुछ सशंकित-सा हो जाता था. लगता था जैसे उससे कुछ छिपाया जा रहा हो. पर, दूसरे ही क्षण वह ऐसा कोई विचार अपने मन से जबरन निकाल फेंकती. सोचती कि उसके अधिक सोचने का ही परिणाम हो सकती है यह स्थिति. हो सकता है कि आरव किसी हलके-फुल्के तनाव