असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 24

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24 प्रजातन्त्र, राजनीति, कुर्सी, दल, विपक्ष, मत मतपत्र, मतदाता, तानाशाही, राजशाही, लोकशाही, और ऐसे अनेको ष्शब्द हवा में उछलने लग गये । जिसे आम आदमी प्रजातन्त्र समझता था वो अन्त में जाकर सामन्तशाही और तानाशाही ही हो जाता था । हर दल में आन्तरिक अनुशासन के नाम पर तानाशाही थी, लोकतन्त्र के नाम पर सामन्तशाही थी । इन्ही विपरीत परिस्थितियों में हमारे कस्बे के नेताजी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे थे, वे राजनीति के तो माहिर खिलाडी थे मगर इस नई, उभरती हुई युवा पीढी के नये नेता कल्लू - पुत्र से पार पाना आसान नहीं था । उन्हें इन्हीं