असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 21

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21 पुस्तके जीवन है । पुस्तके मशाल है । हर पुस्तक कुछ कहती है । हर पुस्तक जीवन जीने की कला सिखाती है । पुस्तक प्रेम जीवन से प्रेम है । जैसे नारे जो सैकड़ो वर्पों से हवा में पुस्तक मेले में तैरते रहते थ्ेा वे सब हवा हो गये । उूपर से चैनल,टी. वी. इन्टरनेट कम्यूटर आदि ने पाठको का समय छीन लिया । चैन छीन लिया । पुस्तको में समोसे,दहीबड़े,और पानी पुरी घुस गई । साहित्य के बजाय कुकरी,फिटनेस,कताई - बुनाई साहित्य, सेक्स,हिन्सा,आदि की पुस्तकेा ने बाजार को ढ़क लिया । सब कुछ बदल गया । पुस्तक क्रान्ति