असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 17

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17 इन्हीं विकट परिस्थितियों में नेता जी अपने महल नुमा - डाईगं रूम में मालिश वाले का इन्तजार कर रहे थे । वे आज गम्भीर तो थे,मगर आश्वत भी । मालिशिये के आने की आहट से उनकी तन्द्रा टूटी । मालिशिये ने अपना काम ष्शुरू किया । टिकट के आकांक्षी आने लगे । कोठी के बाहर -भीतर धीरे-धीरे मजमा जमने लगा । एक टिकिट के दावेदार ने नेताजी के चरण स्पर्श किये । नेताजी ने कोई नहीं ध्यान दिया । वे बोले बता कैसे आया । ‘ ‘बस वैसे ही । ’ ‘बस वैसे ही तो तू आने वाला नहीं