मूर्ति का रहस्य - 10 - समाप्त

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मूर्ति का रहस्य दस: त्यागी और रामदास को मोहरों की तरफ ताकता देख, वहाँ से खिसकने के मनसूबे से रमजान और चंद्रावती तलघर से बाहर निकलने के लिये, सीढ़ियों की तरफ मुड़े। इसी समय उन्हे सीड़ियों पर कुछ पदचापें सुनाई पड़ीं। विश्वनाथ त्यागी ने गरज कर कहा - ‘‘कोई नीचे आने की कोशिश न करना। अन्यथा उसका वही हाल होगा जो बड़े सेठ का हुआ है।’’ ‘‘चुप वे ऽऽऽ, बड़ा चालाक बनता है, ये रामदास तो निरा मूर्ख है। जो तेरी बातों मे फँस गया। तूने तो उसे ही मार डाला होता। अब तुम सब मजा चखो।’’