और वो लौट ही आया हवा की गति से भी तेज दौड़ती मोटर साइकिल पर पीछे बैठी आस्था ने पराग को कस कर पकड़ लिया ।ज़ोर ज़ोर से हंसती आस्था बहुत रोमांचित हो रही थी और पराग था कि मोटर साइकिल भगाए लिए जा रहा था ।पराग के लिए तो स्वर्गिक अनूभूति था ये पल जब उसकी आस्था इस तरह उसके बहुत नज़दीक यूँ लिपट कर बैठ जाती थी । आस्था और पराग दोनो बचपन के साथी थे ,साथ पढ़े साथ खेले साथ साथ दोनो स्कूल भी गए और अब मेडिकल कोलेज में भी एक साथ पढ़ रहे थे