यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम - (2)

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जैसे ही मैं नहाकर आई तभी मेरे ही मोहल्ले की लड़की मुझे बुलाने के लिए मेरे घर पर आई और कहने लगी बड़ी ताईजी ने तुम्हें बुलाया है दीदी ।मैंने कहा ठीक है मेरे बाल गीले है ,सूख जायें तो चलेंगे और कपड़े घर के पहने हैं बदल लेती हूँ ।भाईसाहब की जो पेंट छोटी होगई थी वह मैंने पहन रखी थी उसके ऊपर ढीला कुर्ता पहना था ।उसने कहा नहीं दीदी देर हो जाएगी जल्दी चलना है वरना ताईजी डॉंटेंगी।ताईजी मोहल्ले में ही अगली गली में रहतीं थी और श्रृंगार का सामान अपनी दुकान पर बेचा करतीं थीं ।हमारी