दूसरा देवदास

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मुद्दत बाद आज फिर मोबाइल स्क्रीन पर एक जाना पहचाना नंबर चमका और रिंगटोन बज उठा जाने कितने दिनों के बाद गली में आज चाँद निकला। रिंगटोन लयबद्ध होकर बज रहा था और मैं स्तब्ध चट्टान की भाँति खड़ा था जैसे सारी संवेदनाएं मर चुकी हो।फोन आने से कटने के क्रम में पुरानी यादें बिल्कुल बिजली की तरह आँखों के सामने से गुजर गई।उस दस सेंकेंड में मैने सदियाँ जी ली। उस दस सेंकेंड में मैने उन सारे पलों को फिर से जी लिया जो मोहतरमा के साथ बिताए थे।चाहे वो उस कलम देने के बहाने