मुठ्ठी भर एहसान

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आज कुलीना तीन दिन बाद काम पर आई थी। उसे देखते ही दीप्ति का माथा ऐसे छनका, जैसे गर्म तवा पानी का छींटा मारने पर छनकता है। " तुम कहाँ थी तीन दिन ? बताकर तो जाना चाहिए था !" " शांति रखो मेम साहब, सब बताती हूँ।" उसने एक गिलास पानी पिया और दीप्ति के सामने पसरकर बैठ गई। " मेम साहब परसों मेरी शादी थी।" " और कितनी शादी करोगी तुम, अब तक कितनी शादी कर चुकी हो?" "यह मेरा पांचवा पति है मेम साहब,