अपने-अपने कारागृह - 18

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अपने अपने कारागृह -18 उषा परंपरा से लौटी तो मन बेहद उदास था । अजय किसी काम से बाहर गए हुए थे अतः उसने उमा के घर जाने का निश्चय किया । वह उमा के घर गई । दरवाजा खुला देखकर उसने पहले बाहर से आवाज लगाई । कोई उत्तर न प्राप्त कर उसने अंदर प्रवेश किया । उमा को सोफे पर आंख बंद किए बैठे पाया । सदा प्रसन्न रहने वाली उमा का यह रूप देख कर उषा को आश्चर्य हुआ । उसने आगे बढ़ कर उन्हें आवाज लगाई । इस बार चौंककर उमा ने आँखें खोली । उनकी आंखों