काश! अतीत को बदल सकती ...

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"नमस्ते आंटी; मैं नेहा... आपके नए पड़ोसी. वो नवरात्री का आज आखिरी कीर्तन है; तो मम्मी ने आपको बुलाने भेजा है. उन्होंने कहा है की आज तो कीर्तन में आपको आना ही होगा.""हाँ हाँ... मैं ज़रूर आऊँगी. तुम बैठो. मैं तुम्हारे लिए मिठाई लाती हूँ" - रीमा बोलती है.नेहा घर को निहारने लगती है. तभी साथ वाले कमरे में से किसी के पढ़ने की आवाज़ आती है तो नेहा वहीँ पहुँच जाती है."अरे नेहा! तुम यहाँ; ये लो मिठाई; बाहर बैठते हैं." - रीमा सकपकाते हुए बोलती है."आंटी; ये दीदी कितनी होशियार है. देखो; दसवीं कक्षा के सभी पाठों को