अनकहा अहसास - अध्याय - 31

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अध्याय - 31अब जाओ भी और मुझे भी जाने दो। कहकर वो मेन गेट से गाहर निकल गई।इधर राइस मिल के एक कोने में आभा को उसने बाँध कर रखा था। वो बेहोशी में थी क्योंकि स्टोर से क्लोरोफार्म लेकर गगन ने उसे लगभग बेहोश कर दिया था। अब वो धीरे-धीरे होश में आ रही थी। गगन के अलावा वहाँ एक पंडित भी था और शादी की पूरी तैयारी कर रखी थी।आह। मैं कहां हूँ ? आभा होश में आते हुए बोली। आप मेरे साथ हो मैडम। गगन बोला।आप गगन हो ना। ये मेरे हाथ क्यों बाँध रखे हैं। आभा अपने