तीसरे लोग - 14

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14. नर्मदा नदी की शीतल लहरों को किसना एकटक खिड़की से देख रहा था। शायद उसके भीतर भावनाएं और शंकाएं भी इन्हीं लहरों-सी शीतल और शांत हो गई थी। न तो उनमें में किसी के प्रति राग था और न ही द्वेष। अतीत की घटनाओं में शोषकों के लिए क्षमादान था और अपने लिए पश्चाताप नर्मदा का विराट और सौम्य रूप उसे इलाहाबाद के संगम की याद दिला गया और उसे याद आए गुजरे कल के सुनहरे बचपन के दिन जब अम्मा सुरसतिया और बंगाली मां के साथ साइकिल -रिक्शे पर सवार हो, वह प्राय: संगम में स्नान के लिए