6 वर्षा समाप्त हो चुकी थी। खेतांे मंे धान पक रहे थे। किसान-मजदूर निम्न मध्यवर्गीय समाज के पास काम की कमी थी, ऐसी स्थिति मंे धर्म, अध्यात्म, प्राणायाम, योग, कथावाचन आदि कार्यक्रमांे को कराने वाले सक्रिय हो उठते है। धर्म कथाआंे का प्रवचन पारायण शहर मंे शुरू कर दिये गये। हर तरफ माहोल धार्मिक हो गया। ऐसे मंे एक दिन एक धर्मगुरु के आश्रम मंे एक महिला की लाश मिली। सनसनी फैली और फैलती ही चली गयी। जिन परिवारांे से महिलाएंे नियमित उक्त बाबाजी के आश्रम मंे जा रही थी, उन घरांे मंे शान्ति भंग हो गई। उनके दाम्पत्य जीवन