सुनिए ये एड्रेस बता सकेंगी। एक अजनबी की आवाज़ आयी और गेट खोलते हुए ही उसने पीछे मुड़ कर देखा, ये तो सुबोध ही उसके सामने खड़ा था। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। फिर अचानक खुद को संभालती हुई बोली – आप कौन?”सुनैना को अपने सामने देखकर सुबोध स्तब्ध रह गया।उसकी आंखों के सामने अतीत के पन्ने इतनी जल्दी जल्दी पलटने लगे जैसे तेज़ आंधी के झोंके से उड़ते ;पेड़ के सूखे पत्ते।ये वही सुनैना है जिसको सुबोध 3 साल पहले छोड़ चुका था।सुनैना एक साधारण सी लड़की थी, शादी के बाद पहली बार शहर देखा, सुबोध आए