डायरी का एक पन्ना

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हाथ मे पेंटिंग ब्रश लिए 15 साल पुरानी पेंटिंग के बदरंग हो चुके फ्रेम को गोल्डन करते हुए उसने सोचा ...काश कोई उसको भी इसी तरह सुनहरा रंग से रंग दे । साँझ बीत चुकी थी ।मजदूर भी अपनी दिहाड़ी लेकर जा चुके थे । मिट्टी के गणेश लक्ष्मी को टेराकोटा कलर से रंगते हुए भी सुनहरी यादे कहीं एक नदी की तरह आंखों के सामने तैर रही थी सामने बालकॉनी में कोई गमले पेंट कर रहा था , सच था ही था कोई थी नही थी क्योंकि कोई थी होती तो उसके जहन में यही सब्जी क्या बने , सुबह