अनकहे लफ्ज़

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लफ्ज़ कभी बोलते नही उनमें छिपे ज़ज़्बात बोलते है ते रे भी में रे भी यह अहसास कैसे कैसे होते है न ,कोई सुबह कितनी शीतल सी लगती है ,मेट्रो की तरफ जाती सड़क पर ट्रैफिक शुरू हो गया है ।रात को बैरियर लगाकर इसी सड़क को रोक दिया जाता है और एक पहरेदार बैठा दिया जाता है । जो अवैध रूप से आनेवाले ट्रैफिक को कंट्रोल करता है । ऐसे ही हमारा मन होता है जो दिन भर अनेक विचारों भावों रसों से ओतप्रोत रहता और ईश्वर ने शायद रात का सृजन इसी निमित्त किया कि इंसान थोड़ा ठहर ओर विचारों को