वो आ रही है - 2. राणा विजेंद्र सिंह मनोहर अपनी झोंपड़ी में जा चूका था और गांव वासियों की उत्कंठा अभी शांत नहीं हुई थी | शाम होने तक इंतज़ार के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं था | दिन गर्म एवं बोझिल लग रहा था लोग बार बार मंदिर की तरफ देख लेते जहाँ उन्हें तपती दोपहरी में भी मनोहर अपना सामान इकठा करते हुए दिखाई देता | आखिर जैसे तैसे शाम हुई और सभी गांव वासी मंदिर के प्रांगण में इकठे हो गए | बुजुर्ग मनोहर अभी तक प्रांगण में नहीं आये था | काफी इंतज़ार के