अरे!! आप... आप लक्ष्मी जी हैं ना..." रमाकांत ने आँखों पर चश्मा लगाते हुए कहा."जी; लेकिन आप कौन? माफ़ कीजियेगा, मैंने आप को पहचाना नहीं." लक्ष्मी ने आश्चर्य से पूछा."मैं; मैं; रमाकांत. नंदकिशोर का पिता." रमाकांत ने कहा."नंदू!! नंदू कैसा है? वो कहाँ है? आपके साथ आया है? लेकिन, आप इस अस्तपताल में क्यों?" लक्ष्मी के चेहरे पर ख़ुशी और हैरानी के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे."अरे, अरे, ज़रा सांस तो ले लो. तुम भी तो यहाँ..." तभी नर्स ने लक्ष्मी जी का नाम पुकारा."लगता है मेरा नंबर आ गया; आप थोड़ी देर यहीं इंतज़ार कीजिये, मैं अभी आती