प्रसिद्ध मृदंग बादक - कुदऊ सिंह लेखकः- राजनारायण बोहरे शास्त्रीय संगीत में मृदंग का अलग महत्व है। भारतीय संगीत में जब मृदंग की चर्चा होती है तो कुदऊसिंह जी के नाम के बिना यह अधुरी ही होती है। कुदऊसिंह जी ने अपने जीवन का बेहतरीन दौर दतिया में बताया है। उनके द्वारा खजायी गई “परने” पखावज की बड़ी दुर्लभ और मनमोहित कर देने वाली परन कही जाती है। कुदऊसिंह जी के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालने वाली कम सामग्री प्राप्त होती है फिर भी दतिया के खोजी पत्रकार स्व.श्री बाबुलाल जी गोस्वामी ने बड़ा परिश्रम