कल्पना से वास्तविकता तक। - 2

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नोट:-- इस भाग को समझने के लिए ,आप पहला भाग अवश्य पढ़ ले। आगे ....... नेत्रा अपनी किताब पढ़ने में मशगूल थी,शुरुआत से ही नेत्रा को किताबों से एक अलग ही लगाव था,उसको पढ़ना इतना ज्यादा पसंद था कि, अगर कोई किताब उसको दिख जाती थी तो भले ही वो दूर दूर तक उस किताब को समझ ना पाए ,फिर भी उसके पन्ने पलट कर देखने से वो खुद को रोक नहीं पाती थी । उसको जब भी खाली समय मिलता वो उसको अपनी किताबों के साथ बिताती। किताब पढ़ते समय कुछ शब्दों को पेंसिल से रेखांकित करने की