ये उन दिनों की बात है - 7

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जोरू के गुलाम है दोनों ही, मेरी सोच को विराम तब लगा, जब मैंने धीरज को ये कहते हुए सुना | जी, कुछ कहा आपने | तुम अपनी सहेली से जरा दूर ही रहना | तुम उसके साथ रह रहकर कहीं मुझसे ये एक्सपेक्ट मत करने लगना कि मैं भी वहीं करूँ, जो वो दोनों जोरू के गुलाम करते हैं | औरतों को हमेशा मर्दों का कहना ही मानना चाहिये | और तुम ! कुछ ज्यादा ही हँस रही थी | शर्म नहीं आती, इतनी जोर से हँसते हुए | पता नहीं किस टाइप की औरतों की संगत में रहने