16. इस्लामी कैलेंडर का नवां महीना शुरू हो रहा था। यह महीना पवित्र रमजान का महीना था। अगले दिन से एक माह के रोजे शुरू होने वाले थे। राशिद ऑफिस से घर आ चुका था। उसका इंतजार कर रही नुसरत रोजाना की तरह गर्म चाय लेकर उसके कमरे में आ गई थी। उसकी तरफ चाय का कप बढ़ाते हुए उसने पूछा था – “क्या बात है, आज बहुत थके लग रहे हो?” “हां, काम कुछ ज्यादा था।“ “तभी देर हो गई। मैं काफी देर से इंतजार कर रही थी। मेरा तो खाना भी बन गया है। भूख लग रही हो