सैलरी आ गयी थी, बहोत खुश था! पर बाहर जा नही सकता था. रात को हम खाना खाने बैठ गये, मैंने सोचा आज माँ को पूछ ली लूँगा की कशिश की कहानी क्या है पर हिम्मत ही नहीं हुई, हम सब ने खाना खाया और मै अपने कमरे में आ गया, रोज की तरह आज भी मै कशिश के मेसेज का इंतजार करने लगा, रीना के पापा शहर के बड़े बिल्डर थे तो मै जानता था की कशिश को घर का काम तो था पर उतना ज्यादा नहीं, उसके यहाँ काम के लिए २-३ नौकर लगाये हुए थे. रीना के