दोस्ती से परिवार तक - 7

(16)
  • 5.6k
  • 1
  • 1.8k

राहुल-आह बहुत ज़ोर से लगा यार! पागल हो गयी है क्या तू।…मनीष राहुल की बात काटते हुए बोला-हाँ हो गयी है और मै भी…. और फिर आगे आकर मनीष ने राहुल का कॉलर पकड़ते हुए बोला…"अबे साले। कितनी देर से ढूंढ़ रहे हैँ तुझे, तुझे पता भी है….और हमें भी पता है यहाँ एक काण्ड हुआ था...और तुझे पता है क्या? हमें तो लगा की काण्ड किसी और का नहीं बल्कि तेरा ही हुआ है"रिया-नहीं इसे कहाँ से पता होगा ये महाशय तो घूमने मे ही इतने बिजी थे…..या शायद इसे ही सबसे ज़्यादा खुशी हो रही है इसके एडमिशन की। राहुल