अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य - 3

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अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य(भाग - ३)अवंतिका: थैंक्यू यश! (रुंधे गले से)ऐसे समय पर तुमने आकर मुझे जो सहारा दिया है। उसको मैं बयां नहीं कर सकती।कहकर अवंतिका सिसकते हुए उसके गले लग जाती है।यश उसे सांत्वना देता है।समय बीतता है...औरअवंतिका के बच्चे का सफल ऑपरेशन हो जाता है। इस बीच यश का अवंतिका से मिलना नहीं हो पाता।एक दिन कॉफी शॉप पर..यश: आज कैसे, सुबह सुबह याद किया।अवंतिका: तुमने कठिन समय में मेरी जो मदद की उसका ढंग से आभार भी प्रकट नहीं कर पाई। अब जब वो स्वस्थ है तो सोचा समय निकालकर तुमसे कुछ बात करूं।यश: हम दोस्त