पुनर्जन्म गुरुद्वारे की ठंडी ठंडी सीढ़ियों पर कदम रखती हरदीप आँखो में नमी और हृदय में आशा लिए वाहे गुरु का जप करती जा रही थी ।रोज़ की तरह आज फिर वाहेगुरु से अरदास करेगी अपनी नन्ही सी बच्ची की ज़िंदगी के लिए ।कितना समय गुज़र गया अस्पतालों के चक्कर लगाते ।नन्ही सी जान को हाथों में उठाए फिरती थी अपनी बेटी और दामाद के साथ हरदीप । पूरे तीन महीने बीत गए उसे इंडिया से यहाँ अमेरिका आए हुए ।कोई एक दिन भी ऐसा नही गया जब वो गुरुद्वारे ना आयी हो।ये संस्कार तो उसे विरासत