तीसरे लोग - 5

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5. उस दिन चाचा का लठैत मंगलू पहलवान किसना का बुलावा लेकर उसके घर की चौखट पर लाठी पटकते हुए आ खड़ा हुआ। अम्मा सुरसतिया ड्योढ़ी पर बैठी बथुए क साग बीन रही थी। मंगलू की ओर उसने प्रश्नसूचक द्रिष्टि से देखा। " परनाम चाची, किसनवा है का ? मालिक बुलाए हैं ऊका। कहे की छोरा ऐसे ही फजूल में धूम के बखत बिगाड़ रहा, चाहे तो मालिस (मालिश) ओर लिखा-पढ़ी का काम में लगाय देंगे। " भोली अम्मा ऐसे ही मिसिरजी के अहसानो तले दबी थी, यहां तक की उन्हें देवता का दर्जा दे डाला था। मिसिरजी का नाम