अस्मत

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लघुकथा अस्मत राजनारायण बोहरे सब ठीक है न खेताsss नौनीता दादा हाट से लौटते हुए दूर से टेर लगा कर पूछ रहा था। हाँ कक्काsss! बीस साल के नौजवान खेता ने आत्म विश्वास से जवाब दिया था। भाँय । भाँय । उतरते घाम में भी लू के बबूले हवा में तैर रहे हैं । आज शनीचर है बरखेड़ा की हाट थी सो सारी लेबर हाट करने गई थी । चार साल के अकाल की वजह से परेशान पच्चीस बीघा जोत के किसान बलबान सिंह का मजूरी करने आया इकलौता बेटा खेता अकेला साईट पर बचा