बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 10

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भाग - १० पिछली बार की तरह दरवाजे की आड़ में नहीं गई, लेकिन अम्मी की आड़ में जरूर बैठी रही। अम्मी ने उसे शुक्रिया कहा तो मुन्ना ने कहा, 'अरे चाची इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं है। बेनज़ीर की मेहनत का ही है सब। यह अपने काम में बहुत माहिर हैं । मुझे पता ही नहीं था। नहीं तो मैं पहले ही संपर्क करता। जो पैसे बाहर किसी को दे रहा था वह घर के घर में ही रहते।' 'बेटा क्या करें। समय के आगे हम कुछ नहीं कर पाते। जिस चीज का समय जब आता है, वह