मुक्म्मल मोहब्बत - 18

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मुकम्मल मोहब्बत -18"यू,ओके !" वोट झील मेंं उतारते हुए मैंने पूछा."यस."धीरे से बोली मधुलिका.उदास थी वह.रोज वाली चंचलता उसके चेहरे से गायब थी.मैंने उसका चेहरा गौर से देखते हुए पूँछा-"कल कहां रहीं?""तुम कल आये थे?"उसने धीरे से पलकें ऊपर उठायी."हां,आया था. काफी देर तक तुम्हारा इंतजार किया. मंदिर के पीछे, आसपास सभी जगह तुम्हें देखा. कहीं उस दिन की तरह कहीं छिपकर बैठ गई हो."मैं आहिस्ता से बोला."सॉरी,डियर, मैं बादल से मिलने गई थी.उसकी बहुत याद आ रही थी."उसका लहजा उदास था."मुलाकात हुई?""कहां?वह कालेज आया ही नहीं था.""अरे,बुध्दू ! समर वकेशन चल रहे हैं. वह कालेज क्यों आने