यह कथा में एक ऐसे इंसान पर लिखना जा रहा हूं जो मेरे दिल के करीब नहीं ब्लकि मेरा आधा दिल हे! जब मैं 9th कक्षा मैं था तब वह नयी ल़डकि आयी और हम दोस्त एक दूसरे से बात करने लगे कि लो वापस कोई और नया विद्यार्थि आ गया वह दिन बीत गया अगले दिन मेरे सबसे करीबी दोस्त ने मुझसे कहा कि भाई तू उससे जाके बात कर क्युकी उसको दर लग रहा था कि कहीं नयी ल़डकि शायद सबसे बात ना करती हो तो मे गया उससे बात करने और हम बहुत अच्छे दोस्त बन गए