गच्चा

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कहानी गच्चा रामगोपाल भावुक ‘वन्दना तू लड़की की जात ठहरी, देख कें चलवो कर, नहीं तो कहूँ गहरा गच्चा खायेगी।’ पोपले मुंह वाली मेरे पिताजी की बुआ प्रायः मुझे टोकती थीं। खास तौर पर जब मैं मुहल्ले की लड़कियों के साथ बैडमिन्टन खेलकर लौटती। अकेले मैं बैठकर बुआ की सीख पर विचार करती कि आखिर क्या गच्चा खा सकती हूँ मैं? उत्तर अनेक होते। गच्चा खाना, धोखा खाना भी होता है। किसी के जाल में फंसना भी होता है। गच्चा का अर्थ जान बूझकर की गई गल्ती के लिये जुर्माना भरना भी