उस दिन हम दोनों रात को साढ़े तीन बजे सोए। असल में जब वो आता था तो मैं यह सोचकर उसे अलग कमरे में ठहराता था कि अगले दिन उसका इम्तहान है और वो न जाने रात को कितनी देर तक पढ़ना चाहे, फ़िर उसे कोई डिस्टर्बेंस भी न हो और वह परीक्षा की मानसिकता में ही रहे। लेकिन इस बार ख़ुद उसने कहा कि वो परीक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। उसी ने ये इच्छा जताई कि वो मेरे पास ही सोएगा, तो मुझे भला क्या ऐतराज होता। वो मुझसे बहुत सारी बातें करना चाहता था। अगले दिन उसे