त्रिखंडिता - 10

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त्रिखंडिता 10 सलमा की सनक बढ़ती जा रही थी। वह दिन भर नहीं नहाती। पर रात को नहा-धोकर श्रृंगार करती और तमाम तरह से उसे लुभाने की कोशिश करती। आदम कद शीशे पर, दरवाजों पर वह उसकी मँहगी लिपिस्टक से ’मैडम आई लव यू’ लिख देती। वह नाराज होती तो हँस देती। उस दिन वह गहरी नींद में थी। अचानक उसे अपनी देह पर सर्प रेंगने सा आभास हुआ। सर्प रेंगता हुआ उसके स्तनों पर बैठ गया था। वह गनगना उठी। भय से उसकी घिग्घी बँध गयी। वह जाग पड़ी थी। जोर से सर्प को उठाकर अपनी छाती से अलग