जाल

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जाल ‘अरे विकास, आज इतनी जल्दी क्यों मचा रहे हो? अभी तो टाइम भी नहीं हुआ है।’-विनोद ने झल्लाते हुए कहा। सच भी था। विकास काम को बीच में छोड़ कर जाने की तैयारी कर रहा था जबकि आज महीने का अंतिम दिन था। बॉस का हुक्म था, क्लोजिंग किए बिना घर नहीं जाना। ‘यार, दोस्त के लिए तू इतना भी नहीं कर सकता। तुझे तो मालूम है आज प्रीति को लेकर जाना है।’-विनोद को लगभग पुचकारते हुए विकास अपना सामान समेटने लगा। प्रीति उसकी सहेली थी। प्रेमिका कहना मुश्किल है क्योंकि विनोद को उससे प्रेम नहीं था। कालेज