त्रिखंडिता - 7

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त्रिखंडिता 7 उसे परेशान देखकर तड़प उठता| उन दिनों आनंद की हरकतों से वह दुखी थी| अपने को असहाय और अकेला महसूस करती थी| वह तन से ज्यादा मन का अकेलापन था, जो धीरे धीरे उसे खाने लगा था| फिर अनवर ने उसके अकेलेपन को भर दिया| आनंद के बारे में भी अनवर ने बहुत बातें बताईं थीं, पर तब उसने उसे डांट दिया था| विश्वास ही नहीं था कि प्रगतिशील विचारधारा वाले आनंद ऐसा भी कर सकते हैं पर बाद में उसे खुद सबूत मिलता गया | तब उसे लगा कि अनवर उसे आनंद के खिलाफ भड़का नहीं रहा,