दहेज (लघुकथा)

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विनायक बाबू के घर शादी की तैयारी बड़े ही धूमधाम से हो रही थी धीरे-धीरे मेहमान आ रहे थे कई प्रकार की उपहार से कमरा भरा दिखाई दे रहा था, लेकिन इस खुशी की माहौल में कभी-कभी विनायक बाबू की आँखें नम हो जाती थी, और ऐसा हो भी क्यों ना?....एकलौती पुत्री है सरोज,जिसे विनायक बाबू ने बड़े ही लाड़-प्यार से पाला था उनकी पत्नी की मृत्यु हो जाने के बाद फिर दोबारा शादी नहीं की और सरोज को माँ-पिता दोनों का प्यार दिया पेशे से हाई स्कूल के अध्यापक होने के बावजूद भी उन्होंने सरोज को शिक्षा और