मुक्म्मल मोहब्बत-13 मुझे आश्चर्य भी थाऔर मैं परेशान भी था.झील के किनारे, वोट के पास ,मुझसे पहले पहुंचने वाली मधुलिका का कहीं पता नहीं था.जबकि मुझे उसके यहां मिलने का पूरा यकीन था.इसलिए मैंने वोट का प्रीपेड भी कर दिया था. अब झील के किनारे में पन्द्रह मिनट से चक्कर काट रहा हूँ. साथ ही कई सवाल भी मेरे दिमाग में कौंध रहे हैं. कहीं बीमार तो नहीं हो गई. लेकिन, कल तो भली चंगी थी.शायद,नाराज हो गई. मैंने स्वयं को उसका दोस्त कह दिया था. जबकि वह बादल के अलावा किसी को अपना दोस्त मानती ही