बाली का बेटा - अंगद विदाई

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जामवंत समझ रहे थे कि अब रावण को ठीक रास्ता समझ में आ जायेगा और वह लड़ाई छोड़ कर आत्मसमर्पण कर देगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।अगले दिन रावण खुद सेनापति बन कर युद्ध के मैदान में हाजिर था।रामादल की ओर से राम सेनापति थे।दोनों की अच्छे धनुर्धारी और बहादुर योद्धा थे। शाम तक लड़ाई चलती रही। न तो रावण का कोई नुकसान हुआ न ही रामादल की कोई हानि हुइ्र।रात को विभीशण ने बताया कि रावण ने अपने सिपहसालारों से लोहेका एक ऐसाकवच बनाया है जो गरदन से पेट तक और कमर से घुटनों तक पहना जाता है। अतः उसका