मुक्म्मल मोहब्बत - 12

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मुक्म्मल मोहब्बत-12 "बादल की हथेली से बहता खून देखकर मुझे ऐसा लगा-मेरे शरीर का सारा खून बह गया. मैंने अपनी जेब से रूमाल निकाल कर उसकी हथेली में लपेट दिया. लेकिन, चोट गहरी थी.खून रूक ही नहीं रहा था.मैंने बादल की हथेली को अपनी स्कर्ट में लपेट लिया .खून तो रूका. लेकिन, स्कर्ट रंगीन हो गई."कहते हुए वह रूकी. फिर बोली-"स्वीट तुम्हें पता है?""क्या?"टाईप करते हुए मेरे हाथ रुक गये."बादल की हथेली में तीन टांके आये.""ओह!"मैंने धीरे से कहा."लिखो न!""अंय,हां."मेरे हाथ चलने लगे."उसकी हथेली पर पट्टी बंध गई. वह अपने काम एक हाथ से कर रहा था.बैग