दोस्ती से परिवार तक - 5

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खून से लगभग पूरे लाल हो चुके और सफ़ेद चादर से ढके स्ट्रेचर पर, भीड़ को चीरती हुयी... लोगों की परछाईयों को समेटती हुयी कुछ गाड़ियों की रोशनी पड़ रही होती है... भीड़ मे फिर हलचल होने लगती है....'अरे!कौन होगा बेचारा'"पता नहीं इसके घर वालों को पता भी होगा की नहीं"'कितनी दर्दनाक मौत मरा है भगवान इसकी आत्मा को शांति दें 'भीड़ में खड़े लोग ऐसी ही बातें करने लगते हैँ और फिर थोड़ी देर बाद उस आदमी का चेहरे पर से कपड़ा हटाया जाता है......जो की कुछ हद तक साफ किया जा चुका था... ताकि उसकी पहचान हो सके....चेहरे