गवाक्ष - 47 - अंतिम भाग

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गवाक्ष 47== कॉस्मॉस सत्यनिधि और उसका अंतिम स्पर्श भुला नहीं पा रहा था, उसकी याद उसे कहीं कोई फाँस सी चुभा जाती । कितने अच्छे मित्र बन गए थे निधी और वह छोटा सा बालक जिसका पिता महानाटककर था ! अब जीवन का अवसर मिला है तो कभी न कभी निधी से और उस नन्हे बच्चे से मिलने का प्रयास करेगा जिससे उसने 'बाई गॉड 'कहना सीखा था । उसके नेत्रों में चमक भर आई । हम समाज के लिए ऐसा कुछ कर सकें जो हमें अमर बना दे । " एक जन्म के पश्चात तो मुझे फिर से लौटकर जाना है ---" कॉस्मॉस का चिंतन