मुक्म्मल मोहब्बत - 10

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मुक्म्मल मोहब्बत -10 "मौत सरसराती हुई आये और आपसे अठखेलियाँ खेलने लगे.जिदंगी हाथ से रेत सी फिसलने वाली हो.इस खौफनाक मंजर से हम रूबरू हो रहे हों.तब ,अगर कोई सफेद बादल सा हमें अपने आगोश में ले ले.और फिर हम जिंदगी की दहलीज पर खड़े हों-एक नई जिदंगी हमारे आगे खडी़ मुस्कुरा रही हो-तब हमें जिदंगी देने वाला वह शक्स हमारे लिए खुदा नहीं बन जाता क्या ?"मधुलिका ने हाथ में पहने मोगरे के गजरे को चूमते हुए कहा. ऐसा लग रहा था कि आवाज उसके अंदर कहीं गहरे से आ रही है. साथ ही लगा