जिंदगी मेरे घर आना - 25 - अंतिम भाग

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भाग- 25 (अंतिम भाग ) अब डैडी के लिए मन्नत वाली बात मनगढ़ंत थी, ये नेहा और शरद दोनों जानते थे पर कुछ कह नहीं सकते. लम्बी, घुमावदार, बलखाती सडक पर दौड़ती जीप और आसमान में खरगोश के छौने से कूदते-फांदते सफेद बादलों के साथ लुका-छिपी खेलता सूरज एक रोमांच पैदा कर रहा था. सच है, ऐसे ड्राइव पर नेहा शायद पहली बार आई थी. यूँ तो किसी ना किसी बहाने शाहर का चप्पा -चप्पा घूम चुकी थी पर अगली सीट पर ड्राइवर होता और कुछ लोगों के साथ पिछली सीट पर नेहा. वह साथी टीचर्स से ज्यादा घुल-मिल नहीं