मुक्म्मल मोहब्बत - 9

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मुक्म्मल मोहब्बत -9 आज जब मैं झील पर पहुंचा तो मधुलिका पहले से ही वोट के पास मौजूद थी.उसने मुझे दूर से ही देखकर फ्लाइंग किश दिया. मैं भी उसे फ्लाइंग किश दिया और वोट का प्रीपेड करने लगा.वापस आया तो मधुलिका इत्मिनान से वोट में बैठी हुई थी. पलभर के लिए मेरा माथा फिर ठनका-लड़की बिंदास है या और कुछ भी.दो मुलाकातों में इतना विश्वास ! लेकिन, अगले ही पल मैंने इस विचार को झटका दे दिया. उम्र ही क्या है, बेचारी की.दुनियां देखी ही कहां है.चेहरे की मासूमियत और आँखों का भोलापन गवाही दे रहा