नकटी - भाग-6

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जोगी कानदास टाँग सहलाते हुए वर्तमान में आया और बोला "केदार, विक्रम नवल तो ये मान बैठे थे कि हरसी अब नहीं बचेगी।" कानदास और संजय की आँखों से आँसू नहीं रुक रहे थे गुस्से में आंखे लाल हो गई थी। संजय ने मुट्ठी में मिट्टी भर कर कहा कहा "मेरी माँ ने इतने दुःख सहे इसका कभी जिक्र तक नहीं किया। मैं लापरवाह कभी उसके चेहरे और शरीर के निशानों से अंदाज़ा नहीं लगा सका। कभी पूछा भी तो माँ ने टाल दिया। जोगी जी माँ ने ऐसा क्यों किया।" "वह अपने बसंत की निशानी के एक खरोंच भी